दिल्ली में 11मार्च 2007 को हुई चिट्ठाकार सभा की खासियत यह थी कि इसमें पहली मर्तबा स्त्री –संस्पर्श था। अमित जी ,अविनाश जी ,जगदीश जी , भूपेन जी, सृजनशिल्पी जी,मसिजीवीजी, अमिताभ जी, मैं, नोटपैड और अविनाश जी के साथ आईं मुक्ता जी इसमें उपस्थित थीं। जगदीश जी ने जब हिंदी चिट्ठाकारिता में टीन ब्लॉगरों की हिस्सेदारिता को लेकर शुभाकांक्षा जताई तो अमित जी ने कहा-टीन ब्लॉगरों की हम बात कर रहे हैं यहां तो स्त्री चिट्ठाकारों की इस मीटिंग में पहली हाजिरी है ।खैर शायद हमारी मौजूदगी की वजह से ही मोहल्ला वर्सेज लोकमंच बहस उग्र होते -होते शालीन हो जाती थी ।गर्म कॉफी पीना भूलकर सभी चिट्ठाकार चिट्ठाजगत की हालिया बहसबाजियों में विवेकहीनता से की गई लफ्फाजियों पर परेशान दिखाई दिए । मोहल्लेवालों से उनके इररादों को कुरेदना, इसपर मोहल्लेवालों के सादगी भरे जवाब, मीडियाकारों के चिट्ठाजगत को देखने के अटपटे नजरिये , मेरे शोध पर अब तक के नतीजों , कॉफीहाउस पर हुए हमलों के तेवरों , ब्लॉगिंग से बच्चों की फीस व घर की किस्त चुका सकने लायक बन जाने के परस्पर आशीर्वचनों , नए सॉफ्टवेयरों के आने से ब्लॉगिंग के सुधरते भविष्यग्राफ--- सब पर बातें ,बहसें हुईं । क्नॉट प्लेस के खुला मंच की घास पर पसरे हम चर्चा में डूबे थे और आस -पास के जन अपनी मसरूफियत भूल कर हमारी बहसें सुन रहे थे मेरे शोध को लेकर जगदीश जी की टिप्पणी काबिलेगौर थी । उनका मानना यह था कि ब्लॉगिंग पर शोध करना बहते पानी पर शोध करने के बराबर मुश्किल काम है। वैसे मुक्ता जी की घास नोचते हुए लगातार की चुप्पी रहस्यमयी थी । सुना है वे भी जल्दी ही ब्लॉग बनाने जा रहीं हैं अब पता नहीं कल की चर्चा से उनके इरादों पर क्या असर हुआ लेकिन मुझे उन्हें देखकर प्रसाद की लाइनें याद आती रहीं ---- मैं रोकर सिसककर सिसककर कहता करुण कहानी
तुम सुमन नोचते सुनते करते जानी अनजानी
वैसे एक बडा ही खास मुद्दा बीच बीच में लगातार उठा वह यह कि चिट्ठाकार अपनी पत्नियों के कैसे-कैसे और कितने कोप के भाजन बनते हैं और कैसे मैनेज करते हैं। मसिजीवी इस मसले पर सबसे ज्यादा रुचि लेते प्रतीत हुए । स्त्री चिट्ठाकारों के धरेलू हालातों पर चिंता वहां नदारद थी ।
तो भाई लोगों पूरे किस्से का लुब्बोलुआब यह है कि सभी चिट्ठाकारों में चिट्ठाकारिता के प्रति अदम्य निष्ठा दिखाई दी !वे मानो कह रहे थे—मैं प्राणपण से प्रतिज्ञा करता हूं कि जब तक जिऊंगा चिट्ठा लिखूंगा..चिठ्ठा करना ही मेरा एकमात्र धर्म है और भौतिक जगत की कोई भी शक्ति मुझे इस धर्म से विचलित नहीं कर सकती ओम शांति शांति शांति....................
Monday, March 12, 2007
दिल्ली ब्लॉगर सभा :एक गैरपुरुष नजरिया
Posted by Neelima at 11:56 AM 12 comments
Sunday, March 4, 2007
नारद-ए-ईलाही ये माजरा क्या है?
जितेंद्र ज्यादा गहरी समझ रखते हैं, हम तो चिट्ठा चर्चा की भाषा में कहें तो अभी नए रंगरूट हैं जो प्रोवेशन पर हैं। इसलिए जब जीतूजी ने पहलें हिंदी पोर्टल का खेल समझाया और फिर गूगल की हिंदी योजनाओं का इशारा किया तो हमारा माथा तो ठनका था पर अपन न पीत पत्रकारिता करते हैं न चीख पत्रकारिता। हॉं इधर उधर सूंघते जरूर फिरे। कह नहीं सकते कि क्या बात है पर कह सकते हैं कि कुछ बात जरूर है। अब जरा इस ग्राफ पर नजर डालो....
ये नारद के 12 नवम्बर से 2 फरवरी तक का स्टेटकाउंटर का लेखा-जोखा है। औसतन 294 पेजलोड हैं 140 से लेकर 481 के फेर में हैं। जिंदगी आराम से बीत रही थी। फिर न जाने क्या हुआ (हे नारद वालों हमें भी बता दो क्या हुआ) कि ये ग्राफ उठ खड़ा हुआ- देखो इसे जरा
चमत्कार हुजूर चमत्कार। दुकानदारी अचानक बढ़ी (अच्दी बात है पर बढ़ी क्यों) औसत हो गई 662 (पहले से दो गुना से भी ज्यादा) और 460 से लेकर 995 (जी 5 कम हजार, हमें बता देते राउंड ऑफ करने के लिए ही 5 राउंड मार लेते)
अब इस चिट्ठार्थी का मन बहुत बेचैन हो रहा है। कि माजरा क्या है ? अगर हम किसी उड़नतश्तरी पर सवार कोई भोंपू (पन (अन)इंटैंडिड) ;) होते तो कारण हमारे पास तैयार खड़ा है, चीख चीख कर कहते कि स्क्रोल डाउन करक देख लो कि हमने यहॉं ब्लॉगियाना शुरू केया था इसी महान दिन तो ये तो इस चिट्ठार्थी देवी का परताप है अगर आप अपने लिए पेजलोड का आशीर्वाद चाहते हैं तो हर घंटे में एक बार इस ब्लॉग पर आया करो..... लेकिन नहीं हमें लगता है कुछ गहरी बात है।
अब हम क्या करें – हमें भी खिलाओं नहीं तो खेल का भंडा फोड़ेंगे की तर्ज पर कहेंगे कि हमें भी बताओं नहीं तो रो देंगे।
हमारे कयास इस प्रकार हैं (जिनका खंडन नहीं हुआ तो माना जाएगा कि वे सच हैं)
1. गूगल में कुछ पक रहा है और उसकी ही खुश्बू है ये। आगे ये भी कि वहॉं जो पक रहा है उसमें नारद के भी कुछ रसोइए शामिल हैं। कौन हैं वे क्या पक रहा है ?
2. ऊपर वाला कयास फिर से पढें पर गूगल की जगह याहू पढ़ें
3. पिछले दिनों महाशक्ति के चिट्ठे की नारद हिट 320 के आस पास आ रही थी यानि कोई गड़बड़ थी ऐसा ही कुछ नारद के साथ तो नहीं हुआ।
4. नारद को एडसेंसियाने की सनसनी होने वाली है और IPO आने से पहले तो स्टॉक चढ़ता ही है।
सबका खंडन हो जाए तो मान लें कि जो बात पहले बताई थी यानि ये हमारा परताप ही है को ही सच माना जाए।
वरना क्यों नही नारद ए ईलाही ही बता देता कि माजरा क्या है। क्या हुआ 3 फरवरी को।
Posted by Neelima at 9:43 PM 10 comments
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