हिंदी ब्लॉगिंग हिंदी में रचे जा रहे किसी भी प्रकाशित विमर्श से अलग पहचान बना रही है ! यह अब तक का सबसे जीवंत त्वरित और बहसशील (और बेबाक भी ) मंच है ! यहां कोई भी भी विमर्श का बिंदु अनअटेंडिड नहीं जाता ! बाहरी दुनिया के विमर्शों में बहुत कम हिस्सेदारी दिखाने वाले भी इस दुनिया में विमर्श के मुद्दों पर भिड जाते हैं ! भाषा ,साम्प्रदायिकता ,हाशिया ,राजनीति ,ब्लॉगिंग का तकनीकी और संरचनात्मक पहलू --ऎसे कई मुद्दे उठे और विमर्श के बिंदु बने !एग्रीगेटेरों के बन जाने से ब्लॉगित हिंदी जाति सचमुच के जातीय (जातिवादी नहीं वरन जाति ऐथेनेसिटी के मायने में) चेहरे को अख्तियार कर रही है ! यहां टाइम और स्पेस के बंधनों से आजाद हिंदी चिट्ठाकार एक जमावडे एक जाति के रूप में साफ दिखने लगे हैं ! बहस का कोई एक बिंदु सब चिट्ठाकारों में हलचल पैदा कर सकता है और अपनी समान जातीय भावना के कारण असहमति भी जाति को भीतर से एकीकृत करने का काम करती है ! यहं उठी कोई भी चर्चा या तो विवाद का रूप ले सकती है या फिर विमर्श का ! इसके माने यही निकलते हैं कि हिंदी ब्लॉगिंग लगातार जुडता और नजदीक आता हुआ जातीय-सांस्कृतिक समूह है ! इस पहचान के जातीय स्वरूप का अंदाज भले ही हर चिट्ठाकार न लगा पाए किंतु चिट्ठों के अवचेतन में यह भावना सहज ही देखी जा सकती है !
हर जाति में अंत:जातीय तनाव भी होते है ! यहां भी हैं ! कविता अकविता के बीच भाषिक शुचिता भाषिक सहजता के बीच ,ग़ीक अगीक के बीच वैयक्तिक और सामूहिक चिट्ठाकारिता के बीच ,स्थापित अस्थापित चिट्ठाकारों के बीच --ये तनाव हर बार नकारात्मक ही नहीं होते ! बल्कि कई बार जातीय भावना को मजबूती और आकार दे रहे होते हैं !
ताजा टिप्पणी विमर्श में हिंदी ब्लॉगिंग के चेहरे को आकार देने वाले गंभीर विमर्श पैदा हुए हैं ! इस विमर्श में हिंदी ब्लॉगिंग को ज्यादा से ज्यादा तार्किक पहचान देने की कामना झलकती है ! शास्त्री जी की कामना साफ एवं स्पष्ट प्रकट होती है पर बाकी के चिट्ठाकारों की चिट्ठाकारी में यह बात अवचेतन में समायी दिखाई दे जाती है ! जो कामनाऎं इन चिट्ठाकारों की चिट्ठाकारी में साफ दिखाई देती हैं वे हैं --
हिंदी चिट्ठारों की संख्या तेजी से बढे एवं इसके स्वरूप में विविधता आए
-इसकी अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा की चिट्ठाकारी से अलग पहचान बने
-हिंदी चिट्ठाकारी की दुनिया नजदीक आए (ऎग्रीगेटरों की अभिवृद्धि के रूप में)
-हिंदी चिट्ठारिता की तकनीकी संरचना मजबूत हो
-टिप्पणी की संरचना के माध्यम से चिट्ठाकारी का संवाद-समूह सक्रियस् हो
-प्रिंट मीडिया से अपने मुकाबले में हिंदी ब्लॉगिंग एक सकारात्मक संघर्ष करे और स्थापित हो !
-व्यक्तिगत पहचान और चिट्ठाकारों के उपसमूह बनें ( अलग अलग विषयों में व्यक्तिगत रुचि के आधार पर ) भडास और मोहल्ला इसके सबसे सटीक उदाहरण हैं!
-हिंदी ब्लॉगिंग का अलग भाषिक मुहावरा गढने का प्रयास
-हिंदी चिट्ठाकारी के इतिहास को दर्ज करने की चाह
-हिंदी चिट्ठाकारों के कृतित्व व योगदान को दर्ज करने की चाह
- लेखकीय अस्तित्व स्थापित करने की अभिवृत्ति
-चिट्ठाकारी के व्यावसायिक भविष्य को लेकर कामनाऎं
हिंदी ब्लॉगित जाति के दिनोंदिन लिंकित होते स्वरूप के संबंध में आपके अमूल्य सुझाव आमंत्रित हैं !