शोध निष्कर्षमाला-2
आपका ब्लॉग आपके लिए क्या अहमियत रखता है ? क्या वह इंटरनेट की कल्पनातीत गति वाली सडक पर आपके द्वारा खोली गई एक दुकान है ? या फिर आपका एक ऎसा पवित्र कोना है जहां बैठकर आप अपने उदासी भरे गीत गा- सुना सकते हैं ? या फिर यह आपके लिए अंदर के आवेश और भडास को जगजाहिर कर दुनिया को क्रांति के मुहाने पर ला खडा करने का एक चमत्कारी रास्ता है ? आप प्रिंट माध्यमों से पछाड खाकर यहां औचक ही पहुंच गए एक संभावनापूर्ण लेखक हैं जिसको भविष्य की रोजीरोटी यहीं से पैदा होने की उम्मीद है ?
ब्लॉग क्रांति के घट जाने के बाद अब ब्लॉगिंग क्यूं की जाए ? और ब्लॉगिंग व्यवहार किन कारकों से प्रभावित होता है ?- सरीखे सवालों की पडताल करते हुए ब्लॉगिंग की उत्प्रेरणा , ब्लॉगिंग की मंशा और ब्लॉगिंग व्यवहार पर विचार करने वाली कुछ सामग्री मिली !जब ब्लॉगिंग की प्रक्रिया पर विचार करते हैं तो यह बात खुल कर सामने आती है कि विश्व की दूसरी भाषाओं में हो रही चिट्ठाकारिता से फिलहाल हिंदी चिट्ठाकारी का तेवर अलग है ! एक मायने में यह एक पास आता हुआ समाज है जहां इस विधा के उदय व विकास पर तीखी बहसें हैं , भाषा व तकनीक का तालमेल साधने वाले आचार्य हैं , तीखे सामाजिक विमर्श करने वाले चिट्ठाकार हैं , संवेदना के धरातल पर कविता और गद्यगीत करने वाले रचनाकार हैं , चिट्ठाकारी के लिए आचार संहिता तथा उसके स्वरूप पर वैचारिकियां देने वाले नीतिकार हैं ,इंटरंनेट पर हिंदी साहित्य के दस्तावेजीकण का प्रयास करने वाले रचनाकार हैं ! वे भी हैं जिनका उद्देश्य चिट्ठाकारिता के जरिए हिंदी भाषा का सजग विकास करना है ---! यहां हल्का -भारी एक साथ है ! लेखक आलोचक एक साथ है ! ...कह सकते हैं कि हिंदी चिट्ठाकारिता पाठक बना रही है और इसका उल्टा कि पाठक ब्लॉग बना रहे हैं -Blogs creat the audience and the audience creat the blogs ! जाहिर है कि एक चिट्ठाकार का ब्लॉग व्यवहार दूसरे चिट्ठाकार के ब्लॉग व्यवहार की तुलना में अलग है !
यहां हम फिर उठाए गए सवाल पर पहुंचते हैं कि हिंदी ब्लॉगित जाति का ब्लॉग बिहेवियर कैसा है तथा वह किन कारकों से प्रभावित होता है ! ब्लॉगिंग की उत्प्रेरणा चिट्ठाकार के लिए कम या ज्यादा हो सकती है ! कोई भी चिट्ठाकार अपने द्वारा की गई चिट्ठाकारिता के परिणाम या प्रतिफल के लिए कितना आकर्षित है -इसी से तय होता है कि अमुक चिट्ठाकार में ब्लॉगिंग के लिए कितना उत्प्रेरण है ! हिंदी ब्लॉगित समाज में ब्लॉगिंग के प्रतिफल का आकर्षण बहुत है ! चिट्ठाकार को अपने ब्लॉग पर टिप्पणियों का इंतजार रहता है , व्यावसायिक भविष्य को लेकर सजगता है ,सामाजिक संबंध बनाने की कामना भी है ! यहां स्वांत; सुखाय रधुनाथ गाथा गाने की कामना कम ही है ! छोटे पर सक्रिय संवाद समूहों की विनिर्मिति इसका खास पहलू है ! दरअसल चिट्ठाकारों की ब्लॉगिंग मंशा (इंटेंशन) का सीधा संबंध ब्लॉगिंग उत्प्रेरण से है ! जितना अधिक उत्प्रेरण होगा उतनी ही मजबूत ब्लॉगिंग इंटेशन होगी ! हिंदी के कई चिट्ठाकार अभी स्थापित होने की प्रक्रिया में हैं अत: ये चिट्ठाकार अपने ब्लॉग की भविष्यगत संभावनाओं पर विचार का काम उतनी सजगता से नहीं करते !. चिट्ठों और उनपर आने वाली टिप्पणियों के कॉपीराइट के निर्धारण को लेकर कई चिट्ठाकारों ने विमर्श किया है! चिट्ठों के रोमन प्रतिरूप पर किसका कॉपीराइट है यह सवाल भी हाल ही में उठा और उसपर काफी बहस का माहौल बना ! इससे जाहिर होता है कि हिंदी चिट्ठाकारी ने आकार लेना शुरू कर दिया है तथा चिट्ठाकार अपने लिखे चिट्ठों की सामग्री की उपादेयता व उसके भविष्य की संभावनाऎं तलाश रहा है !
ब्लॉगिंग़ इंटेंशन का ब्लॉगिंग बिहेवियर से सीधा सहसंबंध है ! ब्लॉग करने के आकर्षणों तथा अपने ब्लॉग की उपादेयता को लेकर तेजी से सक्रिय होता ब्लॉगर अपने ब्लॉग के प्रबंधन में ज्यादा समय व उर्जा खर्च करता है !हिंदी चिट्ठाकारों में अभी पूर्णकालिक रूप से ब्लॉगिंग करने का माहौल नहीं बना है पर ज्यादातर ब्लॉगर समय की कमी के व पारिवारिक व्यावसायिक जिम्मेदारियों के बावजूद अपने ब्लॉग के लिए समय निकालने का भरसक प्रयास करते दिखाई देते हैं ! चिट्ठाजगत ( एक फीड एग्रीगेटर ) पर धडाधड महाराज की लिस्ट में सबसे ऊपर बने रहने की कामना हर चिट्ठाकार की है ! अपने ब्लॉग की साज सज्जा नाम अपने प्रोफाइल , ब्लॉगरोल पाठकों की संख्या , टिप्पणी करने वालों को बढावा देने के लिए चिट्ठे की साइड बार में उनका सचित्र नामोल्लेख -- इन सबको लेकर चिट्ठाकार सक्रिय होते जा रहे हैं ! ब्लॉगिंग बिहेवियर में ब्लॉगर द्वारा अन्य ब्लॉगरों के चिट्ठों को पढना व उनपर टिप्पणी देना भी शामिल है ! इस कोण से देखने पर हिंदी का ब्लॉगर समुदाय नजदीक आता दिखाई देता है !यहां लिंकन प्रतिलिंकन की प्रवृति अधिकातर चिट्ठाकारों में दिखाई देती है ! विवादित मुद्दों पर लिखी गई पोस्टों के आसपास अनेक पोस्टों का जन्म होता है जिससे विवाद का मुद्दा भी विकसित होता चलता है तथा लिंकन के जरिए उससे जुडी पोस्टों को भी पाठक या कहें कि ट्रेफिक मिलता चलता है ! कम समय में ज्यादा चिट्ठे पढना व उनपर टिप्पणी देना , टिप्पणी द्वारा दूसरे चिट्ठाकारों को अपने चिट्ठे तक लाना , इमेलिंग के जरिए मित्रों व परिचित ब्लॉगरों को नई पोस्ट की जानकारी देना , समय समय पर होने वाले चिट्ठाकार सम्मेलन , फोन के जरिए अपनी पोस्ट पर परिचित ब्लॉगरों की राय लेना जैसी कई प्रवृतियां हैं जिनसे एक पास आते , व्यवस्थित होते , उलझते , संवरते और आकार पाते हिंदी चिट्ठाकार समुदाय का स्वरूप उभरता है !