विवेक की मेल मिली सराय की साइट पर जाकर दोबारा जांचा और लीजिए हम स्वतंत्र शोधकर्ता की कतार में शामिल हो गए । मेरे शोध का विषय है ' ब्लॉगित हिंदी जाति का लिंकित मन : ब्लॉगों में हिंदी हाईपरटेक्स्ट का अध्ययन' यह नया ब्लॉग इसी शोध की प्रक्रिया में शुरू किया गया है। इसलिए मित्रों आप भी इस शोध में शामिल हों अपने ब्लॉगिंग अनुभव हमसे साझा करें। पूर्ण शोध प्रस्ताव जल्द ही पोस्ट किया जाएगा। दरअसल अभी पूरा प्रस्ताव यूनिकोड में उपलब्ध नहीं है।
Saturday, February 3, 2007
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3 comments:
नीलिमा जी
आपका प्रविष्टि संयोगवश दिख गई, पढ़ी. इतनी कठिन भाषा न लिखें, एक तो इंटरनेट की तकनीकी लफ़्फ़ाज़ी (जार्गन)उस पर ऐसी कागउड़ैया हिंदी...हिंदी को सरल सहज रहने दें, मैं पक्के तौर पर कह सकता हूँ कि आप ऐसी भाषा बोलती तो नहीं होंगी...लेकिन लिखते ज़रूर रहिए...
नीलिमा जी,
आज सर्व-प्रथम, शुभकामनायें तुमको दे रहा हूँ,
सरल भावों को कागउड़ैया हिंदी है कैसे कह रहे,
प्रतिमान कौन सा रहा जनाब का यह सोच रहा हूँ
लफ़ज़ों की स्याही को आप ना सूखने दें और
हो शोध परिपूर्ण, यह मंगल कामना कर रहा हूँ।
आदर सहित नमन
रिपुदमन
नीलिमा जी,
आज सर्व-प्रथम, शुभकामनायें तुमको दे रहा हूँ,
सरल भावों को कागउड़ैया हिंदी है कैसे कह रहे,
प्रतिमान कौन सा रहा जनाब का यह सोच रहा हूँ
लफ़ज़ों की स्याही को आप ना सूखने दें और
हो शोध परिपूर्ण, यह मंगल कामना कर रहा हूँ।
आदर सहित नमन
रिपुदमन
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