Tuesday, April 8, 2008

हिंदी जनपद का ब्लॉगफेमेनिज़्म

  { यह पोस्ट  "वूमेन स्ट्डीज़" -पर हाल ही में संपन्न हुई एक संगोष्ठी में मेरे द्वारा पढे गए पर्चे का अंश रूप है !}

अंतर्जाल पर हिंदी की आहटें अब सशक्त स्वर का रूप ले रही हैं ! आज हिंदी में लिखे जा रहे ब्लॉगों की मौजूदगी को लेकर न केवल हिंदी के वरन अंग्रेजी के मुख्यधारा मीडिया ने हलचल दिखानी शुरु कर दी है! जनसत्ता , राषट्रीय सहारा , दैनिक भास्कर , दैनिक जागरण ,एन डी टीवी, सी एन एन आई बी एन आदि जगहों पर हिंदी ब्लॉगिंग के उभरते तेवरों की खूब चर्चा हो रही है ! उभरते हुए नेट या साइबर फेमेनिज़्म के नए विमर्श वृत्त में हिंदी ब्लॉगिंग अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हो रही है! यहां स्त्री आंदोलन ,स्त्री विमर्श और स्त्री लेखन की त्रयी बन रही है जिससे हर दिन नए सदस्यों का जुडना हो रहा है ! ब्लॉग का यह जरिया स्त्री संघर्षों को रियल टाइम में घटित कराता है ! संवाद प्रतिसंवाद ,सूचना विचार और अभिव्यक्ति का यह ग्लोबल मंच अब तक का सबसे सनसनीखेज माध्यम है ! यहाँ पर्चा हिंदी ब्लॉगिंग में घटित होने वाले नए फिनामिना ब्लॉगफेमेनिज़्म की पडताल करता है

हिंदी की पहली स्त्री ब्लॉगर पद्मजा का ब्लॉग "कही अनकही" 2003 में प्रारंभ हुआ ! तब से अब तक की यह ब्लॉग यात्रा हिंदी पट्टी का अपने तरीके का नेटफेमेनिज्म है ! यह यात्रा कोमलता से तीखे तेवर अख्तियार करने की , भावनाओं के शिखरों से उतरकर कंटीले रपटीले रास्तों पर चलने की यानि पद्मजा से चोखेर बाली बन जाने की कहानी है!ये ब्लॉगराइने हिंदी की परंपरागत पट्टी की न होकर अलग अलग स्थानों पृष्ठभूमियों से हैं ! दिल्ली लखनऊ हरियाणा अमेरिका बम्बई अहमदाबाद लंदन से लिखने वाली ये स्त्री ब्लॉगर डॉ.,इंजीनियर ,वैग्यानिक , सरकारी अफसर ,प्राध्यापक ,शिक्षक ,मीडियाकर्मी हैं कुछ धरेलू भी है!

 हिंदी ब्लॉगिंग में स्त्री विमर्श के बनते उखडते पैराडाइम में चोखेरबाली का एक कम्युनिटी ब्लॉग के रूप में सामने आना बहुत सकारात्क धटना है ! इसके सथ जुडॆ 20 सदस्यों में कुछ पुरुष भी हैं ! इस ब्लॉग के जरिये पहली बार साइबर स्पेस में बिखरे फेमेनिज़्म को आयाम मिला है ! पुरुषों द्वारा एप्रोप्रिऎट किए जा रहे स्त्री विमर्श को अब स्त्री ने अपने हाथ में ले लिया है ! न केवल ब्लॉग जगत पर वरन प्रिंट मिइडिया में भी चोखेरबाली की चर्चा निरंतर हो रही है ! तकनीक पर नियंत्रण से शुरुआत के साथ साथ अब स्त्री ब्लॉगर कंटेंट /सामग्री के नियंत्रण की ओर आ रही हैं ।और इसकी प्रखर अभिव्यक्ति “चोखेर बाली “के उदय से सामने आने लगी है । महिलाएँ ब्लॉग के माध्यम से क्या बात करें और किसी विमर्श को कैसे आगे बढाएँ यह वे खुद तय करने लगी है ।

1--स्व और अस्मिता की अपनी निजी परिभाषा की तलाश करना !

2--अपने अतीत के निजी अनुभवों की स्त्रीवादी आलोचना करना !

3--सामाजिक राजनीतिक जीवन में स्त्री असमानता और हिंसा पर कडी आलोचनात्मक

निंदा का सामाजिक मंच तैयार करना !

4--मर्दवादी तेवरों को डिकोड करना !

5--नेटफेमेनिज्म की सार्थक भूमिका तैयार करना !

6--सूचना प्रौद्योगिकी के सबसे सशक्त माध्यमों में पुरुष एकाधिकार को चुनौती देना !

7--अपने क्रोध ,असहमति ,मत को रचनात्मक ,सामाजिक मंच प्रदान करना !

पद्मजा से आंख की किरकिरी बन जाने वाली संघर्षशील स्त्री की आजादी की मुहिम हिंदी ब्लॉग जगत में छिड चुकी है ! हिंदी के इस नए अंदाज ब्लॉगफेमेनिज़्म की संभावनाओं को तलाशा जाना अब जरूरी है !

9 comments:

काकेश said...

बांकी सब तो ठीक है लेकिन 'ब्लॉगर' शब्द "न्यूट्रल जैंडर" है. महिला ब्लॉगर के लिये 'ब्लॉगराइन' शब्द गढ़ना मुझे उचित नहीं जान पड़ता.

Anonymous said...

लेकिन 'ब्लॉगर' शब्द "न्यूट्रल जैंडर" है. महिला ब्लॉगर के लिये 'ब्लॉगराइन' शब्द गढ़ना अपने लिये एक लाइन दूसरी बनाना हैं । महिला को अपनी बात कहने के लिये किसी भी दूसरी लाइन की जरुरत नहीं हैं । ब्लॉगर शब्द "न्यूट्रल जैंडर" हैं और रहेगा । हाँ अगर कुछ भारतीये महिला ब्लॉगर अपने को 'ब्लॉगराइन' कहलाना पसंद कर रही है तो ये उनकी इच्छा हैं पर वो किसी कि नुमानदगी नहीं कर सकती । ये उनकी पर्सनल सोच हो सकती हैं । हाँ अगर कोई सर्वे हुआ हैं तो उसके गणित को दिखाया जाए ताकि पता लगे कितनी महिला जो ब्लोगर हैं अपने को 'ब्लॉगराइन' कहलाना पसंद करती हैं ।

Neelima said...

काकेश जी ,रचना जी
यह आलेख स्त्री विमर्श पर स्त्री द्वारा रचित वैचारिकियों की पडताल करता है ! यहां स्त्री ब्लॉगर शब्द का इस्तेमाल भी हुआ है ब्लॉगराइन का भी ,ठीक वैसे ही जैसे लेखिका शब्द का इस्तेमाल होता है ! स्त्री की जेंडर आइडेंटिटी आज स्त्रीवादी आंदोलनों विमर्शॉं का केन्द्रीय चितन है पर उसके लिए भाषिक अभिव्यक्तियों का कुंठ मन से किया गया संकोच न तो भाषा के लिए स्वस्थ है ही स्त्री विमर्श के लिए ! ऎसे सर्वे कराना श्रम का अपव्यय है स्त्री की जेंडर आइडॆंटिटी पर इससे भी बडे कई खतरे हैं जिनकी पहचान और तलाश करनी चाहिए !हाशिए पर फेंक दी स्त्री का संघर्ष भाषा के स्त्रीलिंगीय प्रयोंगों से क्या सचमुच कोई दिशा पाता है ? यह तो स्त्री के स्वयं के स्त्रीत्व के प्रति कुंठा व हिचक को दर्शाता है !

Sharma ,Amit said...

क्या बात स्त्री को ले कर हर जगह बबाल मचा हुआ है??? पुरूष तो पुरूष , कुछ स्त्रियाँ भी उनकी आजादी और सफलता को नही पचा पा रही है ... कमाल है... कोई न कोई नया शगूफा हमेशा ही तैयार रहता है ... कुछ और नही तो नया नामांकरण "ब्लॉगराइने" और उन्हें क्या बात करनी चाइये और क्या नही इस की भी सूचि बन रही है ... मसलन, ये पंक्ति "महिलाएँ ब्लॉग के माध्यम से क्या बात करें और किसी विमर्श को कैसे आगे बढाएँ यह वे खुद तय करने लगी है ।" http://linkitmann.blogspot.com/2008/04/blog-post.html से.
क्या कोई जबाब देगा , इंटरनेट कब से किसी एक की बपोती हो गई है ??? या ब्लॉग और डायरी लिखने का अधिकार और अपनी बात कहने की आजादी सिर्फ़ पुरुषो तक ही सीमित रह गई है ??? अपनी पहचान बनाना सभी का मौलिक अधिकार है , ब-शर्त किसी को आहात / नुकसान के बिना बनाई जाए...
समझ नही आता क्यों लोग बिना कारन एक दुसरे पर दोष लगाते रहते है , कमी खोजते रहते है ??? अरे भाई ख़ुद में दम है तो सामने आओ , सब को अपने को साबित करने का मौका दो , पुरूष हो या स्त्री .... जिस में दम होगा ख़ुद ही चमक जाएगा ... जब सूरज निकलता है तो दुनिया देखती है...
किसी का "शेर " है ... " अब तूफ़ान ही फ़ैसला करेगा रौशनी का , दिया वो जलेगा जिस में दम होगा"...

रेवा स्मृति (Rewa) said...

Hi Friends,

I don't feel to discuss on the comments has been posted here by readers on हिंदी जनपद का ब्लॉगफेमेनिज़्म. I really donno why people are blogging, just to find mistakes on others post or just to comment without giving even a single thought on the main post! Yaar, let writers put their views on their blogs, why others are having so much objections on others post or ideology.


Anyway, I personally feel that the post is motivational, n objectives are very clear. We have to motivate others.. Neelima, the points mentioned by you are really admirable. But one thing, we need to encourage women and all those who really need us, our motivation, n support whether they are woman or man, it doesn't matter much.


Feminism teaches us to learn from everyone! Right?


Thanks and regards.
www.rewa.wordpress.com

mehek said...

baki kisi muddhe par kuch nahi kehna hai,haa,hindi mein aur anya koi bhasha ho,nari apne kadam aage hi badhaye,apne vichar rakhen,aur is antarjaal par uska ek apna astitva ho otni shubhkamana.

Manjit Thakur said...

जैसे ही आप अपनी बात कहने की जगह ढूंढ लेते हैं आपकी आवाज़ सुनी भी जाने लगती है। अभिव्यक्ति का नया और तेजतर्रार साधन महिलाओं की समस्याओं और उनके हालात पर नई नज़र डालने के काबिल बनाएगा।

Ila's world, in and out said...

A blogger is a blogger.It makes no difference whether the blogger is male or female.Here everyone is free to expres his/हेर viewpoint thru blogging.फिर भी महिला होने के बावजुद मै तो कम से कम अपने आओ को ब्लौगराइन कहलाना बिल्कुल पसन्द नहीं करूंगी.ये बात बहुत अच्छी है कि ब्लौग के ज़रिये नारी भी अपने मनोभावों को सब के सामने रख सकती है,क्यूंकि जरूरी नहीं हर लिखने वाले/वाली की अभिव्यक्ति कहीं छपे.

प्रभात रंजन said...

नए आंदोलन के लिए नई भंगिमा और नई भाषा की दरकार तो होगी .... लेकिन साधन तो फिर भी साधन ही है .... तय कीजिए कि विचार विमर्श की धारा में बराबरी की जगह पाना है या नदी के द्वीप बनाने हैं .... आप भी तो मानती है , कि सूरत बदलनी चाहिए ।