ये अपने मूल शोध-प्रस्ताव में ही था कि हिंदी चिट्ठाकारों के लिंकन व्यवहार का विश्लेषण किया जाएगा। इरादा ये देखने का है कि कौन किसे लिंक करने में रुचि लेता है। लिंक केवल सामग्री की उपयोगिता पर ही निर्भर नहीं करता वरन चिट्ठाकार की रुचि-अरुचि का परिचायक भी होता है। आमतौर पर ब्लॉगरोल में पसंदीदा चिट्ठों को जगह देने की प्रवृत्ति होती है। पर एक समस्या है ब्लॉगर का ब्लॉग रोल अंतहीन नहीं हो सकता इसलिए सबको प्रसन्न नहीं किया जा सकता, कुछ को चुनना शेष को रिजेक्ट करने जैसा ही होता है जो नेता टाईप या सर्वप्रिय ब्लागरों को पसंद नहीं वे किसी को नाराज नहीं करना चाहते अत: वे लगभग सभीको या तो अपने रोल में जगह देते हैं (जैसे शास्त्रीजी) या फिर वे किसी को भी जगह नहीं देते (जैसे फुरसतिया, ईस्वामी)। हमने शुरुआती अध्ययन के लिए चिट्ठाजगत के सक्रियता क्रमांक से ऊपर के चंद ब्लॉगरों के बलॉग रोल को देखकर ये जानने की कोशिश की कि क्या वे एक-दूसरे को पसंद करते हैं ? परिणाम चौंकाने वाले हैं- इस तालिका को देखें ( बहुत मेहनत से बनाई है...क्लिक कर बड़ा करें)
x-मायने लिंक नहीं दिया, Y- मायने लिंक दिया गया
चिट्ठाकार हैं-
१फुरसतिया 2. ई-स्वामी 3. मेरा पन्ना 4. Raviratlami Ka Hindi Blog 5. उडन तश्तरी ....... 6. मोहल्ला 7. azdak 8. मसिजीवी 9.हिंदयुग्म 10. प्रत्यक्षा 11. जोगलिखी 12. कस्बा 13. रचनाकार 14. काकेश 15. ई-पंडित
तो स्थिति ये है कि हिंदी ब्लॉगिंग में फिलहाल रुचि का वैविध्य (एक दूसरे को कम पसंद करने के लिए इससे सम्मानजनक शब्द मिल नहीं पाया) इतना हो गया है कि शीर्ष पर टिके ब्लॉगर अक्सर अपने ही दूसरे ब्लॉग को तो रोल में रख रहे हैं किंतु साथी ब्लॉगरों को नहीं।
वैसे यहाँ यह भी विचारणीय है कि ब्लॉगरोल को लेकर जैसा आकर्षण व सतर्कता पहले दिखाई देता था अब नहीं है और बहुत से ब्लॉगर अपने ब्लॉगरोल हटाकर उनकी जगह विज्ञापनों को देने लगे हैं। हिंदी चिट्ठाकारी में विशिष्ट दो प्रवृत्तियॉं जरूर मुझे महत्वपूर्ण लगती हैं पहली है पत्रकार ब्लॉगरों द्वारा एक दूसरे का पुरजोर समर्थन लगभग प्रत्येक पत्रकार चिट्ठाकार ने एक-दूसरे को लिंकित कर रखा है, इससे सबको ट्रैफिक भी मिलता है और दरजा भी।
ऐसी ही बिरादरी युवा कवियों की भी है वे भी एक दूसरे को परस्पर लिंकित करने में विश्वास रखते हैं। ये अलग बात है कि जहॉं पत्रकारों को गैर पत्रकार भी अपने ब्लॉगरोल में रख रहे हैं वहीं कवियों को बस एक-दूसरे का ही सहारा है।
तो भाई लोग ये जो भाईचारा बहनापा है ये अक्सर पत्रकार का पत्रकार से है और कवि का कवि से- ऐसे में हम शोधार्थी बिरादरी को तव्वज्हो मिलने की कोई उम्मीद नहीं दिखती :(
21 comments:
नीलिमा जी आप शायद गिनती भूल रही हैं..13 के बाद 14 आता सुना जाता था हमारे जमाने में ..आजकल कोई नयी गिनती चल गयी तो हम उससे परिचित नहीं..क्षमा करें...:-) वैसे आपका विश्लेषण अच्छा है..आपकी तालिका में अपना नाम देख कर भयंकर आश्चर्य हुआ..
नाम तो खैर आपका आना ही था..हमने खुद नहीं चुना है...चिट्ठाजगत के सक्रियता से ऊपर के चिट्ठे लिए हैं। गिनती की गलती और आपका नाम व लिंक जोड़ दिया है। दरअसल अक्षरग्राम को मैं चिट्ठे की तरह देख नहीं रही हूँ और वह उस सूची में था- उस कारण नीचें के सभी की संख्या में बदलाव हुआ और काकेश पता नहीं कहॉं गायब हो गए- अब ठीक कर दिया है। शुक्रिया
तहे दिल से शुक्रिया.अपनी गिनती सुधारने और हमारा नाम जोड़ने के लिये..इस जनम का तो नहीं लगता पर पिछ्ले जनम का जरूर कोई वैर रहा होगा कि काकेश आपके चिट्ठे में गायब हो ही जाते हैं..पहले भी एक बार धूमकेतु बनके गायब हो गये थे :-)
नीलिमा जी शोध और सर्वेक्षण के लिए धन्यवाद । आप तो सब चिट्ठाकारों के मन को लिंकित करती हैं, आपको कोई लिंकित कर पायेगा हो लिंकित मन । धन्यवाद जानकारी देने के लिए ।
अपने ब्लागरोल मे हमे भी स्थान दो देवी !!
बहुत अच्छा शोध ।सराहनीय !
नोटपैड जी
लिंकित भव!!!!
आँख खोलू शोध-आज ही कोशिश शुरु करता हूँ ब्लॉग रोल बनाने की-मगर किसको जोडूँ -कोसको छोडूँ.....पूरा एक मीटर का रोल बन जायेगा. आप भी न!! ऐसी बात कर देती हैं कि आदमी बस फंस कर रह जाये. :) वैसे आपके ब्लॉगरोल में हम नहीं दिख रहे?? :)
बढ़िया विचार है। मेरे ख्याल से आपको सैंपल साईज़ बढ़ाना चाहिये। आप कुछ और बातें भि विश्लेषण में शामिल कर सकती हैं मसलन,
१ क्या ब्लॉगरोल में अपनी ब्लॉग सेवा के ही ब्लॉग जोड़ने का रिवाज़ है, यानि कि ब्लॉगर डॉट कॉम वाले वर्डप्रेस वालों को ब्लपगरोल में न डालते हों,
२ क्या किसी खास विषय पर लिखने वाले लोग ही ब्लॉगरोल रखते हैं,
३ ब्लॉगरोल कितने अंतराल में अपडेट होते हैं या मूलतः स्टैटिक ही रहते हैं?
४ पुरुष और स्त्रियों के ब्लॉगरोल के अंतर, आदि इत्यादि।
दिखे तो हम भी नहीं देवी आपके ब्लॉगरोल में..हमें भी लिंकित भव का अशीर्वाद दे ही दो.. देखिये पूरे तीन बार चक्कर लगाये हैं जी ..पांव पांव दुख रहा है..
मियां काकेश आप बार बार पहचान का घालमेल कर रहे हैं- नोटपैड वाली सुजाता के यहॉं लिंकित मन की नीलिमा समझकर टिप्पिया रहे हैं और यहॉं इन्हें सुजाता समझकर...और किसी को तो कम फर्क पड़ता है पर हमें तो पड़ेगा :)।
अपने डाटा का सुधारें। ये दो अलग शख्स हैं भई।
सही है। शोध से शर्मा कर कुछ लिंकिंग शुरू हो शायद। :)
अब क्या बताएँ जी हमने भी पहले सोचा था कि ब्लॉगरोल बनाएँ और दोस्तों के लिंक जोड़ें लेकिन फिर सोचा कि जिसका नहीं लगाएँगे वो नाराज होगा, इसलिए सोचा चक्कर ही खत्म कर देते हैं, लगाते ही नहीं।
फिर सोचा कि हिन्दी में तकनीक पर लिखने वाले बहुत कम हैं अतः उन्हें प्रोत्साहित करना आवश्यक है इसलिए तकनीक पर लिखने वालों के लिंक दे दिए। अब कोई नाराज नहीं हो सकता, एक बहाना हो गया कि भाई आप भी तकनीक पर लिखो आपका भी लिंक दे देंगे। :)
यह सच नहीं है कि 'आमतौर पर ब्लॉगरोल में पसंदीदा चिट्ठों को जगह देने की प्रवृत्ति होती है।'
नीलिमा जी,
हम आज की गिरिराज जोशी से कहेंगे कि वो ब्लॉगरोल पर सभी को लिंकित करें। अभी हमने इस दिशा में सोचा नहीं था।
धन्यवाद देवाशीष जी आपके सुझाव बहुत काम के हैं!
काकेश जी आपको अब पावं दुखाने नहीं पडेंगे बशर्ते आप भी लिंकित भव का आशीर्वाद हमें दे देवें!
अनूप जी समीर जी, लगता है लेख का कुछ असर हो रहा है ब्लॉगरों के मन में हल चल दिखाई दे रही है !:)
शैलेश जी , धन्यवाद
श्रीश जी आप ने भी मुश्किल शर्त रख दी अब हम जैसे तो सात जनम में भी तकनीक पर नहीं लिख पाऎगे हमें पूरा विश्वास है !:)
उन्मुक्त जी ,गैर पसंदीदा चिठ्ठों को भी ब्लॉग रोल में रखने की प्रवृत्ति नहीं है! अभी इस पर और शोध की जरूरत है आप भी अपनी राय बताते रहें !
संजीव जी यहां सभी को लिंक की जरूरत है, मुझे भी :)
नीलीमा जी,
आपका ब्लॉग्रोल भाहूत अच्छा हे
मे भी ऐसा blog शुरू करना चाहता हू
आप कोंसी software उपयोग किया
मुजको www.quillpad.in/hindi अच्छा लगा
आप english मे करेगा तो hindi मे लिपि आएगी
नीलिमा जी, शोध के लिए बधाई। देखिये सार्थक हो रहा है आपका शोध । चर्चा, सुनगुन, सुगबुगाहट।
इसे साफगोई मानें, सफाई नही, हम भी पत्रकार हैं मगर अपने ब्लागरोल में विषय वैविध्य को ही तवज्जो दी है। हां, गैरज़रूरी बहस पर आमादा ब्लाग्स को दूर से सलाम कर लेते हैं।
शोध के लिए शुभकामनाएं।
ब्लॉग रोल बनने का प्रश्न बहुत दिन से मेरे मन में है /
आज ही हिन्दी ब्लोग्स वाला ब्लोगरोल लगाया है लेकिन मैं चाहता हूं
की अपना स्वयं की पसंद और वरीयता के आधार पर एक ब्लॉग रोल बना सकूं /
है कोई जो इसमे मेरी मदद कर सके
दर असल ब्लॉगर के लिंक रोल में सीमायें हैं
क्या स्क्रोल्लिंग करता हुआ २०-३० ब्लोग्स का ऐसा ब्लॉग रोल बनाना सम्भव है ?
चलते चलते धन्यवाद्
कम से कम मैंने इसी बहाने अपनी समस्या तो रख दी ............
जी प्रवीणजी ऐसा बिलकुल संभव है। सागर नाहरजी ने ऐसा करने का तरीका बताया था एक पोस्ट में। ये लीजिए ये रहा लिंक।
http://nahar.wordpress.com/2007/10/18/make-your-blogroll-perfect/
उम्मीद है आपकी समस्या का समाधान हो गया होगा। जब ब्लॉगरोल बनाएं तो हमें भी याद रखें :))
नीलिमा
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