कुछ चिट्ठाकार साथियों ने हिंदी ब्लॉगिंग पर जारी मेरे काम को लेकर दिलचस्पी जाहिर की है और उसके परिणामों को लेकर उत्सुकता दिखाई है। कहना न होगा कि ये शोधकार्य बेहद आरंभिक चरण में है और परिणामों को लेकर कुछ भी कहने की स्थिति अभी मेरी नहीं है। वैसे इस कार्य को विद्वतजनों के समक्ष पेश करने का काम नवंबर में होगा जब सराय की शोधार्थी कार्यशाला में हम अपने काम को पेश करेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि तब कम से कम कुछ हिंदी चिट्ठाकार जरूर वहां उपस्थित होंगे। वैसे इसी प्रकार का काम मेरी एक सह शोधार्थी इंदिरापुरम निवासी गौरी पालीवाल भी कर रही हैं जिनके काम का शीषर्क है 'क्योंकि हर ब्लॉग कुछ कहता है.....' मेरी अभी उनसे भेंट नहीं हुई है पर मुझे आशा है कि उनके कार्य से इस दुनिया पर एक नए कोण से देखने का अवसर मिलेगा।
अब तक अपनी रिसर्च नोटबुक में मैनें जो आड़ी तिरछी लकीरें खींचीं हैं उनसे कुछ इस प्रकार के बिंदु उभरते हैं-------
हिंदी ब्लॉग जगत इतना 'साफ सुथरा' क्यों है(यह आपत्ति नहीं है हैरानी है) अर्थात पोर्न, कीचड़बाजी आदि इसमें अंग्रेजी ब्लॉगिंग की तुलना में नहीं के बराबर है। क्या यह ब्लागिंग परिदृश्य में बेहद असामान्य व्यवहार तो नहीं है ?
ब्लॉगर-ब्लॉग संबंध
हिंदी ब्लॉगिंग गैर-अंग्रेजी कितु भारतीय अन्य ब्लॉगों की ओर कैसे देखती है ?(मसलन तमिल या मराठी ब्लॉगिंग) इसी प्रकार यह भी कि हिंदी चिट्ठाकारी का भारतीय अंग्रेजी ब्लॉगिंग को लेकर क्या रवैया रहा है ?
पितामह बिरादरी :)
नारद की भूमिका (मजे की बात हे कि एक सहयोगी मित्र हिंदी पत्रकारिता में सरस्वती के योगदान पर शोध कर रहे हैं......मुझे दोनों के बीच मजेदार साम्य दिखाई देतो है)
फांट प्रपंच
यूनीकोड पुराण
कमबख्त पॉडकास्ट
विषयगत विविधता (या उसका अभाव)
प्रत्यक्षा और स्त्रियॉं कहॉं हैं (और पहली 'लड़की' है कहीं )
दलित ?????
किशोर व बच्चे ????
इरफान और शुएब....
विकलांग (एक नेत्रहीन मित्र ने सरेआम कहा मुझे तो नेट पर हिंदी खोजने पर केवल पोर्न मिलता है.....मेरे लिए वहॉं कुछ है क्या)
दुनिया के अलग अलग कोनों में बैठे ये चिट्ठाकार क्या एक 'जाति' (संदर्भ रामविलास शर्मा ) का निर्माण करते हैं ? इस जाति के पहचान चिह्न क्या हैं ?
कुछ और नोट्स भी हैं पर वे बाद में ओर हॉं ये सवाल नहीं हैं केवल मुद्दे हैं उत्तर नहीं खोज रही केवल नैरेटिव्स खोज रही हूँ। और हॉं एक बात और बलॉग शोध का मामला भी गरमा रहा है। इन दो शोधों के अलावा आगामी 7-8 मार्च को नई दिल्ली में हो रही एक नेशनल सेमीनार में पढ़े जाने के लिए एक परचा स्वीकृत हुआ है विषय है 'Vernacularly Yours.......A Look at the question of complex linguistic identity on Hindi Blogosphere' बाकी की खबर केवल इच्छुक लोगों के लिए है मसलन कौन है यह शोधार्थी (हॉं मैं नहीं हूँ) ;)