Thursday, December 27, 2007

2008 में कैसी होगी ब्लॉगकारिता - दिलीप मंडल

 

यह लेख मूलत: दिलीपजी के चिट्ठे पर है, महत्‍वपूर्ण जान पुन: सामने रखा जा रहा है। 

एक रोमांचक-एक्शनपैक्ड साल का इंतजार है। हिंदी ब्लॉग नाम का शिशु अगले साल तक घुटनों के बल चलने लगेगा। अगले साल जब हम बीते साल में ब्लॉगकारिता का लेखा जोखा लेने बैठें, तो तस्वीर कुछ ऐसी हो। आप इसमें अपनी ओर से जोड़ने-घटाने के लिए स्वतंत्र हैं।

हिन्दी ब्लॉग्स की संख्या कम से कम 10,000 हो

अभी ये लक्ष्य मुश्किल दिख सकता है। लेकिन टेक्नॉलॉजी जब आसान होती है तो उसे अपनाने वाले दिन दोगुना रात चौगुना बढ़ते हैं। मोबाइल फोन को देखिए। एफएम को देखिए। हिंदी ब्लॉगिंग फोंट की तकनीकी दिक्कतों से आजाद हो चुकी है। लेकिन इसकी खबर अभी दुनिया को नहीं हुई है। उसके बाद ब्लॉगिंग के क्षेत्र में एक बाढ़ आने वाली है।

हिंदी ब्ल़ॉग के पाठकों की संख्या लाखों में हो

जब तक ब्लॉग के लेखक ही ब्लॉग के पाठक बने रहेंगे, तब तक ये माध्यम विकसित नहीं हो पाएगा। इसलिए जरूरत इस बात की है कि ब्लॉग उपयोगी हों, सनसनीखेज हों, रोचक हों, थॉट प्रोवोकिंग हों। इसका सिलसिला शुरू हो गया है। लेकिन इंग्लिश और दूसरी कई भाषाओं के स्तर तक पहुंचने के लए हमें काफी लंबा सफर तय करना है। समय कम है, इसलिए तेज चलना होगा।

विषय और मुद्दा आधारित ब्लॉगकारिता पैर जमाए

ब्लॉग तक पहुंचने के लिए एग्रीगेटर का रास्ता शुरुआती कदम के तौर पर जरूरी है। लेकिन विकास के दूसरे चरण में हर ब्लॉग को अपनी-अपनी स्वतंत्र सत्ता बनानी होगी। यानी ऐसे पाठक बनाने होंगे, जो खास तरह के माल के लिए खास ब्लॉग तक पहुंचे। शास्त्री जे सी फिलिप इस बारे में लगातार काम की बातें बता रहे हैं। उन्हें गौर से पढ़ने की जरूरत है।

ब्लॉगर्स के बीच खूब असहमति हो और खूब झगड़ा हो

सहमति आम तौर पर एक अश्लील शब्द है। इसका ब्लॉग में जितना निषेध हो सके उतना बेहतर। चापलूसी हिंदी साहित्य के खून में समाई हुई है। ब्लॉग को इससे बचना ही होगा। वरना 500 प्रिंट ऑर्डर जैसे दुश्चक्र में हम फंस जाएंगे।

टिप्पणी के नाम पर चारण राग बंद हो

तुम मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी करते हो, बदले में मैं तुम्हारे ब्लॉग पर टिप्पणी करता हूं - इस टाइप का भांडपना और चारणपंथी बंद होनी चाहिए। महीने में कुछ सौ टिप्पणियों से किसी ब्लॉग का कोई भला नहीं होना है, ये बात कुछ मूढ़मगज लोगों को समझ में नहीं आती। आप मतलब का लिखिए या मतलब का माल परोसिए। बाकी ईश्वर, यानी पाठकों पर छोड़ दीजिए। ब्लॉग टिप्पणियों में साधुवाद युग का अंत हो।

ब्ल़ॉग के लोकतंत्र में माफिया राज की आशंका का अंत हो

लोकतांत्रिक होना ब्लॉग का स्वभाव है और उसकी ताकत भी। कुछ ब्लॉगर्स के गिरोह इसे अपनी मर्जी से चलाने की कोशिश करेंगे तो ये अपनी ऊर्जा खो देगा। वैसे तो ये मुमकिन भी नहीं है। कल को एक स्कूल का बच्चा भी अपने ब्लॉग पर सबसे अच्छा माल बेचकर पुराने बरगदों को उखाड़ सकता है। ब्लॉग में गैंग न बनें और गैंगवार न हो, ये स्वस्थ ब्लॉगकारिता के लिए जरूरी है।

ब्लॉगर्स मीट का सिलसिला बंद हो

ये निहायत लिजलिजी बात है। शहरी जीवन में अकेलेपन और अपने निरर्थक होने के एहसास को तोड़ने के दूसरे तरीके निकाले जाएं। ब्लॉग एक वर्चुअल मीडियम है। इसमें रियल के घालमेल से कैसे घपले हो रहे हैं, वो हम देख रहे हैं। समान रुचि वाले ब्लॉगर्स नेट से बाहर रियल दुनिया में एक दूसरे के संपर्क में रहें तो किसी को एतराज क्यों होना चाहिए। लेकिन ब्लॉगर्स होना अपने आप में सहमति या समानता का कोई बिंदु नहीं है। ब्लॉगर हैं, इसलिए मिलन करेंगे, ये चलने वाला भी नहीं है। आम तौर पर माइक्रोमाइनॉरिटी असुरक्षा बोध से ऐसे मिलन करती है। ब्लॉगर्स को इसकी जरूरत क्यों होनी चाहिए?

नेट सर्फिंग सस्ती हो और 10,000 रु में मिले लैपटॉप और एलसीडी मॉनिटर की कीमत हो 3000 रु

ये आने वाले साल में हो सकता है। साथ ही मोबाइल के जरिए सर्फिंग का रेट भी गिर सकता है। ऐसा होना देश में इंटरनेट के विकास के लिए जरूरी है। डेस्कटॉप और लैपटॉप के रेट कम होने चाहिए। रुपए की मजबूती का नुकसान हम रोजगार में कमी के रूप में उठा रहे हैं लेकिन रुपए की मजबूती से इंपोर्टेड माल जितना सस्ता होना चाहिए, उतना हुआ नहीं है। अगले साल तक हालात बदलने चाहिए।

नया साल मंगलमय हो!
देश को जल्लादों का उल्लासमंच बनाने में जुटे सभी लोगों का नाश हो!
हैपी ब्लॉगिंग!
-दिलीप मंडल

3 comments:

समयचक्र said...

bahut badhiya bhai mai apke vicharo se sahamat hun dhanyawad

36solutions said...

ब्‍लाग पर शव्‍द ही ब्‍यक्ति के व्‍यक्तित्‍व के परिचायक हैं, कोई गैंग नहीं है यदि है भी तो यह सब गैंग वालों का निरर्थक भ्रम है ।
बाकी सभी विचार अनुकरणीय हैं खासकर नेट का रेट सस्‍ता हो और स्‍पीड बढे ।

क्‍या है छ.ग.के पुलिस प्रमुख का पत्र

Neeraj Rajput said...

सुझाव के लिये धन्यवाद। साथ ही ब्लॉगर्स की पोल खोलने के लिये भी बहुत-बहुत शुक्रिया