जितेंद्र ज्यादा गहरी समझ रखते हैं, हम तो चिट्ठा चर्चा की भाषा में कहें तो अभी नए रंगरूट हैं जो प्रोवेशन पर हैं। इसलिए जब जीतूजी ने पहलें हिंदी पोर्टल का खेल समझाया और फिर गूगल की हिंदी योजनाओं का इशारा किया तो हमारा माथा तो ठनका था पर अपन न पीत पत्रकारिता करते हैं न चीख पत्रकारिता। हॉं इधर उधर सूंघते जरूर फिरे। कह नहीं सकते कि क्या बात है पर कह सकते हैं कि कुछ बात जरूर है। अब जरा इस ग्राफ पर नजर डालो....
ये नारद के 12 नवम्बर से 2 फरवरी तक का स्टेटकाउंटर का लेखा-जोखा है। औसतन 294 पेजलोड हैं 140 से लेकर 481 के फेर में हैं। जिंदगी आराम से बीत रही थी। फिर न जाने क्या हुआ (हे नारद वालों हमें भी बता दो क्या हुआ) कि ये ग्राफ उठ खड़ा हुआ- देखो इसे जरा
चमत्कार हुजूर चमत्कार। दुकानदारी अचानक बढ़ी (अच्दी बात है पर बढ़ी क्यों) औसत हो गई 662 (पहले से दो गुना से भी ज्यादा) और 460 से लेकर 995 (जी 5 कम हजार, हमें बता देते राउंड ऑफ करने के लिए ही 5 राउंड मार लेते)
अब इस चिट्ठार्थी का मन बहुत बेचैन हो रहा है। कि माजरा क्या है ? अगर हम किसी उड़नतश्तरी पर सवार कोई भोंपू (पन (अन)इंटैंडिड) ;) होते तो कारण हमारे पास तैयार खड़ा है, चीख चीख कर कहते कि स्क्रोल डाउन करक देख लो कि हमने यहॉं ब्लॉगियाना शुरू केया था इसी महान दिन तो ये तो इस चिट्ठार्थी देवी का परताप है अगर आप अपने लिए पेजलोड का आशीर्वाद चाहते हैं तो हर घंटे में एक बार इस ब्लॉग पर आया करो..... लेकिन नहीं हमें लगता है कुछ गहरी बात है।
अब हम क्या करें – हमें भी खिलाओं नहीं तो खेल का भंडा फोड़ेंगे की तर्ज पर कहेंगे कि हमें भी बताओं नहीं तो रो देंगे।
हमारे कयास इस प्रकार हैं (जिनका खंडन नहीं हुआ तो माना जाएगा कि वे सच हैं)
1. गूगल में कुछ पक रहा है और उसकी ही खुश्बू है ये। आगे ये भी कि वहॉं जो पक रहा है उसमें नारद के भी कुछ रसोइए शामिल हैं। कौन हैं वे क्या पक रहा है ?
2. ऊपर वाला कयास फिर से पढें पर गूगल की जगह याहू पढ़ें
3. पिछले दिनों महाशक्ति के चिट्ठे की नारद हिट 320 के आस पास आ रही थी यानि कोई गड़बड़ थी ऐसा ही कुछ नारद के साथ तो नहीं हुआ।
4. नारद को एडसेंसियाने की सनसनी होने वाली है और IPO आने से पहले तो स्टॉक चढ़ता ही है।
सबका खंडन हो जाए तो मान लें कि जो बात पहले बताई थी यानि ये हमारा परताप ही है को ही सच माना जाए।
वरना क्यों नही नारद ए ईलाही ही बता देता कि माजरा क्या है। क्या हुआ 3 फरवरी को।
10 comments:
महाशक्ति जी के चिट्ठे के हिट काउन्टर का लेखा जोखा अगर महाशक्ति जी ही बेहतर बता सकेंगे। हमारे पास तो हर हिट का रिकार्ड है। पूरी पूरी जानकारी के साथ, जिसे वक्त रहते ही सार्वजनिक किया जाएगा।
रही बात खिचड़ी की, अगर कोई खिचड़ी पकी तो आपको भी खिलाई जाएगी, हम लोग अकेले कुछ नही खाते। (याहू वाली खिचड़ी आपको मिली की नही?) बशर्ते तब तक आपने अपनी (ब्लॉग)दुकान चलाए रखी तो।
नारद पर बढते हिट्स, नारद की बढती लोकप्रियता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इसके लिए सभी चिट्ठाकारों बधाई के पात्र है। आप इस बारें मे क्या सोचती है, ये आपका कार्य-क्षेत्र है, हम इसमे कैसे दखल दे। वैसे मेरे को एक गाना भी याद आ रहा है :
चोरो को सारे नज़र आते है चोर....
(बुरा ना मानो होली है।)
हा हा हा।। आप तो शोध करके ही मानेंगीं। कहे जाने के बाद स्टेटकाउंटर देखा फिर से। वैसे याहू की खिचड़ी की तारीख भी शायद 2-3 ही है। पर जितेंद्र जी आपकी बातों को काफी सीरियसली ले रहे हैं, बधाई।
भाई महाशक्ति आप ही बताओं 320 का राज हम भी कुछ जुगाड़ करें।
'...नारद पर बढते हिट्स, नारद की बढती लोकप्रियता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इसके लिए सभी चिट्ठाकारों बधाई के पात्र है।'
बात खुशी की तो है। सभी खुश हैं- शायद नीलिमा भी हैं पर जीतू भैया उस कमबख्त दो फरवरी को ही इस लोकप्रियता ने ऐसा उफान क्योंकर मारा ?
चलो हम अभी इस लोकप्रियता पर खुश हो लेते हैं। जब खिचड़ी मिलेगी उसे भी खाएंगे और आपके गुण गाएंगे।
यह तो शोध का विषय है ही, जल्द ही अपने ब्लाग पर शोध पत्र प्रस्तुत करता हूँ। धैर्य रखे समायाभाव के कारण अभी तक सम्भव नही हो पा रहा है। :)
आप पीत पत्रकारिता नहीं करते मगर जानकारी निकलवाने का यह तरीका अच्छा है :)
वैसे इस बारे में हमने भी कुछ लिखा था वो यहां है
http://aaina2.wordpress.com/2007/02/17/blog-3/
Upar sujhae link par hi jituji ne kahatha -
बस आप इतना समझ लीजिए, कई कई लोग/संस्थाएं गुपचुप रुप से हिन्दी चिट्ठों पर नज़र रख रही है। अब इनके इरादे क्या है, ये तो वही लोग जाने, लेकिन ये लोग कौन है, यह मै जरुर जानता हूँ।
बाकी जानकारी फिर कभी, अकेले में।
....phir bhi ye rahstra ke naam sandesh ki tarz par badhti lokpriyata ki baat kyon...ab to hum bhi janaan chahte hain. bataa do narad.
क्या माजरा है नीलिमा जी…अब नारद जी पर शोध-प्रबद्ध काव्य भी लिख डालिए…थोड़ा और विस्तार हो जाए…और नारद जी ही तो सबकी खबर रखते है जैसे-जैसे उनका विकास होगा हम तो विकसित होंगे ही…।
भैया ऐसा है कि... हमें तो लोग जानते भी नहीं,कभी किसी के ब्लौग पर अपने ब्लौग की नाम-छाप भी नहीं छोड़ते किन्तु फ़िर भी मेरे ब्लौग का काउन्टर जो की २-३ हिट्स हर रोज़ दर्शाता था, अब वह हर एक दिन छोड़ कर... ६०-८५ हिट्स दिखाने लगा है। जबकी हम नारद से आशिर्वाद नहीं लेते और प्रभु जी के डायरैक्ट वाले भक्त हैं!
वैसे याहू-हिन्दी का नाटक सुना ...अच्छा लगा, और बहुत गुस्सा भी आया। ( कामचोर हैं वे, चोरी से बाज़ नहीं आते), शायद चोरी का शडयंत्र दक्षिण भारत में ही रचा गया हैं (वहीं दिमाग के इतने तेज़ लोग होते हैं) :) चोरी करने के लिये भी तो आखिर अकल चाहिये ना।
ऊपर दक्षिण भारतीय लोगों पर की गयी राय मुझे नस्लीय जान पडती है ऐसा करने से बचें
शायद नस्लीय नहीँ, पर याहू की दुकान भारत मेँ.. दक्षिण भारत मेँ ही है अगर आप को इस का पता ना हो तो|
माजरा ये है कि नारद महाराज का सब तरफ जम कर प्रचार हो रहा है जिसमें हम सब हर तरह से लगे हुए हैं।
साथ ही अन्य भी कई सामयिक कारण हैं जिनमें मुख्य है हिन्दी ब्लॉगिंग का सरल होना तथा लोगों की इसके प्रति बढ़ती जागरुकता जिससे नित नए सदस्य जुड़ रहे हैं।
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