यूँ अधिकतर ब्लागर इस प्रक्रिया से परिचित हैं। पर चूँकि यह ब्लाग शोध रिपोर्टिंग के उद्देश्य से तैयार किया गया है अत: जानकारी के लिए सूचना है कि लोकमंच पर ब्लॉग दूनिया का एक संक्षिप्त परिचय अपूर्व कुलश्रेष्ठ ने प्रस्तुत किया है। उनका आभार,यदि इसे चर्चित हल्ले की 'चोरी' न माना जाए तो जानकारी अविकल इस प्रकार है
ब्लागर्स या चिट्ठाकारों की दुनिया पर प्रकाश डाल रहे हैं लेखक अपूर्व कुलश्रेष्ठ
ब्लाग एक निजी डायरी, ताजे समाचार प्राप्त करने का जरिया एवं आपके निजी विचार हैं. सामान्य भाषा में ब्लाग एक बेवसाइट है जहां आप अपने विचारों को प्रेषित करते हैं. इस हेतु कोई नियम व कायदे नहीं हैं. कोई भी अपने विचारों को मनचाही भाषा में व्यक्त कर सकता है.
आज से पांच वर्ष पूर्व ब्लागर लांच होने के बाद ब्लाग्स ने वेब को नया आकार दिया है, राजनीति को प्रभावित किया है, पत्रकारिता से हाथ मिलाया है और लाखों लोगों को इस योग्य बनाया है कि वे अपनी आवाज बुलंद कर सकें और दूसरों से सम्पर्क बना सकें. ब्लाग के माध्यम से आपकी स्वयं की आवाज वेब पर आती है. यह वह स्थान है जहां आप अपने दिलचस्प विचारों को इकट्ठा कर किसी के साथ बांटते हों. फिर चाहे राजनीतिक विचार हो, निजी डायरी हो या वेबसाइट की लिंक हों, जिसे आप याद रखना चाहते हों. कई व्यक्ति ब्लाग का उपयोग अपने स्वयं के विचारों को संगठित करने के लिये करते हैं जबकि अन्य विश्व के हजारों लोगों को प्रभावित करने के लिये. व्यावसायिक एवं युवा पत्रकार ब्लाग का उपयोग ताजे समाचारों के प्रकाशन के लिये करते हैं जबकि निजी जर्नल लिखने वाले के विचारों को इसमें व्यक्त करते हैं. ब्लागर मोबाइल, चित्र एवं प्रकाशन सामग्री सीधे आपके ब्लाग पर भेजते हैं जब आप कहीं सफर पर हों. इसके लिये आपको अपने फोन से निश्चित वेबसाइट पर मात्र मैसेज भेजना होता है. इसके लिये ब्लागर अकाउंट की आवश्यकता भी नहीं होती.
ब्लागर साइट्स पर यह भी देखा जाता है कि विचार भेजने वाले व्यक्ति ने अपने विचारों को संयत भाषा में लिखा है कि नहीं. परंतु हाल ही के कुछ वर्षों में यह देखने में आया है कि धार्मिक कट्टरता वाले ब्लाग्स की संख्या में काफी बढोत्तरी हुई है. ये साइट्स कट्टरता को काफी बढावा दे रही थी. यही कारण है कि सरकार द्वारा कुछ ब्लाग साइट्स को ब्लाक भी कर दिया गया.
फायर वाल तकनीक साफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों के लिये उपयोगी है या एक मायने से दोनों का मिला-जुला स्वरूप है. यह अनधिकृत यूजर को आपके प्रायवेट नेटवर्क का उपयोग करने से रोकता है. कोई भी मैसेज और ब्लाग इन्टरनेट तकल पहुंचने और निकलने से पहले इससे होकर गुजरते हैं और अगर वे तय मापदण्डों को पूरा नहीं करते हैं तो यह उन्हें कम्प्यूटर तक पहुंचने ही नहीं देता है. इस तकनीक के कुछ प्रकारों में प्राक्सी सर्वर, पैकेट फिल्टर, एप्लीकेशन गेट-वे और सर्किट गेट-वे गिने जाते हैं.
Friday, February 9, 2007
ब्लॉग होता क्या है ?
Posted by Neelima at 2:23 PM
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4 comments:
fursatiya.blogspot.com/2004/09/blog-post_08.html#comments
आप के लिए उपकोक्त लिंक खोद कर निकली है!
इसे ब्राऊजर में कटपेस्ट कीजिए पाएंगे की इस विषय पर शोध करने की भी परंपरा रही है!
नीलिमा जी,
जानकारी अच्छी है…जब कोई विकास आगे बढ़ता हओ तो पिछे कुछ कूंड़ा भी छोड़ता जाता है…कोई भी वस्तु को लें शुद्धता के साथ अशुद्धियाँ आएंगी जरुर।
नीलिमाजी। जानकर प्रसन्नता हुई कि आप ब्लाग पर शोध कर रही हैं। इस हेतु आपने मेरे लेख का उपयोग किया, मैं आपका आभारी हूं। वैसे आप किस संस्थान से शोध कार्य कर रही हैं। कृपया जानकारी दें। इस विषय में मैनें भी काफी लिखा है। अगर आपको किसी तरह की जानकारी चाहिए तो आप बेहिचक मुझसे सम्पर्क कर सकती हैं। मेरा ई-मेल- apoorv.kulshrestha@gmail.com है।
आप ब्लाग पर शोध कर रही है बधाई, आपके द्वारा शोध से हम लाभान्वित होगें।
यह करना की धार्मिक या किसी प्रकार की कट्टरता को बढावा देना तो यह ठीक नही है। व्यक्ति आपनी अभिव्यक्ति को प्रकट करता है।
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