Sunday, February 4, 2007

ब्‍लागित हिंदी जाति का लिंकित मन

जैसा कि वायदा था, शोध प्रस्‍ताव निम्‍नवत है। आपकी राय की प्रतीक्षा है।

शोध विषय : ब्‍लागित हिंदी जाति का लिंकित मन : ब्‍लागों में हिंदी हाईपरटेक्‍स्‍ट का अध्‍ययन

इंटरनेट पर हिंदी की चर्चा अब उतनी नई नहीं है, और हिंदी हाइपरटेक्स्ट अब एक यथार्थ है जिसके इरादे वेब जगत पर एक लंबी पारी खेलने के हैं। विशेषकर यूनेकोड के अवतरण के पश्चात हिंदी हाइपरटेक्स्ट ने नए प्रतिमान को प्राप्त कर लिया है। हिंदी ब्लॉग इसी प्रक्रिया का सहज विकास हैं। नारद, अक्षरग्राम, चिट्ठाचर्चा, हिंदी वेबरिंग जैसे नेटवर्कों के बाद तो हिंदी ब्लॉग जगत एक परिघटना बन गया है। रामविलास शर्मा की हिंदी जाति की अवधारणा हिंदी ब्लॉग जगत के संदर्भ में बेहद युक्तियुक्त बन जाती है क्योंकि देशकाल से परे ब्लॉगिया समुदाय जिस अस्मिता से आपस में जुडता है वह भाषीय अस्मिता (राष्ट्रीय ) ही है
प्रस्तावित शोध हिन्‍दी ब्लॉगों में व्यक्त हिंदी हाइपरटेक्स्ट गद्य का एक ऑनलाइन अध्ययन है जो इस हाइपरटेक्स्ट की भाषा ,शैली ,रचनाकार ,टेक्स्ट ,रीडर टेक्नॉलजी के वृत्त विमर्श में परखना चाहता है। यह हिंदी में इक पूर्णतः ऑनलाइन अध्ययन होगा हो विद्यमान ब्लॉगों ,हिंदी नेटवर्कों ,ब्लॉग आर्काइवों और विद्यमान टिप्पणियों का अध्ययन करेगा ऑर्कुट व माइस्पेस जैसे नेटवर्कों में जारी संवादों की परख करेगा और अपनी पहलकदमी से हिंदी ऑनलाइन समुदाय से नेरेटिव्स इकट्ठे करेगा।
हाइपरटेक्स्ट हिंदी गद्य की विषय वस्तु उसकी भाषा शैली पोस्टिंग टिप्प्णी संरचना का विशेष रुप से अध्ययन किया जाएगा ताकि यह समझा जा सके कि हिंदी ऑनलाइन समुदाय का विस्तृत आख्यान क्या है देश-परदेश हिंदी-अहिंदी रोमन-देवनागरी जैसी द्वंदात्मकता से यह कैसे दो-चार हो रहा है। पाठक समायोजित गद्य किस प्रकार अपनी विशिष्ट्ता बरकरार रख पाता है, इस आयाम को भी टटोला जाएगा। मल्टीमीडिया के सानिध्य में पलने वाला गद्य छवि ,संगीत ,और रंग की मातहती से कैसे दो-चार होता है, यह भी हिंदी गद्य का एकदम नया अनुभव है जिसका अध्ययंन प्रस्तावित शोध करेगा। हिंदी की पहचान जो अपने भौगोलिक केंद्रों से निकट से संबंधित रही है वह आभासी स्पेस में कैसे अस्तित्‍ववान रह पाती है इस पर भी एक संक्षिप्त राय व्यक्त की जाएगी
शोध की मूल पद्धति विद्यमान हाईपरटेक्‍स्‍ट को खंगालने, आर्काइवल नरैटिव्‍स को चुनने और उनसे वृत्‍तांत तय करने की होगी। आनलाइन विमर्श-समुदाय में इस विषय पर बहस की शुरूआत की जाएगी जिसमें निरंतर हस्‍तक्षेप कर इस वृत्‍तांत को पुष्‍ट किया जाएगा।

4 comments:

Anonymous said...

हिन्दी चिट्ठों में नयी प्रविष्टियां देखने के लिये दो अन्य अच्छे विकल्प हैं
१. हिन्दी चिट्ठे एवं पॉडकास्ट
२. Hindi Blogs.com

Pramendra Pratap Singh said...

aapka swagat hai.

मसिजीवी said...

रवि रतलामी जी ने आज कहा ' यह मानकर चलें कि आपने जो चिट्ठा अपने चिट्ठास्थल पर आज लिखा है, वह आज भी पढ़ा जाएगा, कल भी और सैकड़ों वर्षों बाद भी (यदि आपने स्वयं इसे नहीं मिटाया). आपके पोस्ट को ढूंढा जाकर, खोजा जाकर भी पढ़ा जाएगा. आपका चिट्ठा अजर-अमर होता है.' ब्‍लाग शोध के लिहाज से मुझे यह एक महत्‍वपूर्ण टिपपणी जान पड़ती है। नहीं ?

Manish Kumar said...

आपके शोध का विषय और इसके निष्कर्ष हिंदी चिट्ठाकारों के लिये काफी रोचक होंगे ।