प्रस्तुत है इस सप्ताह के जनसत्ता से चिट्ठाचर्चा
पूरा पाठ इस प्रकार है-
स्माइली ही संदेश है
- विजेंद्र सिंह चौहान
हिन्दी ब्लॉगजगत में बाटला हाऊस है और अपनी जगह है। सो ही धराशाई शेयर बाजार भी है ! सौम्या विश्वनाथन हैं, स्त्री विमर्श और सांप्रदायिकता भी बरकरार हैं , उन्हें कौन डिगा सकता है। निशा-मधुलिका और दाल रोटी चावल जैसे ब्लॉगों का बरास्ता स्वाद छा जाने वाला अपना प्रति-फेमिनिज्म भी है , पर इतना सब कुछ केवल हाशिया है। ये हिन्दी ब्लॉगों के आटे में केवल नमक है ! हिन्दी चिट्ठाकारी के केवल संचारी भाव हैं। हिन्दी ब्लॉगिंग का मूल भाव, उसका यूएसपी है उसकी अनौपचारिकता बोले तो हा हा ही ही यानि हास्य और व्यंग्य। ब्लॉगिंग की भाषा में लिखें तो एक कोलन लिखें और कोष्ठक को बंद कर दें {:)} । :) ब्लॉगिंग की भाषा में स्माइली कहलाता है। जिस कथन के बाद स्माइली लगा हो उस पर नाराज होना वर्जित है। स्माइली वही है जिसे फुरसतिया मौज लेना कहते हैं, अरूण पंगा लेना, आलोक पुराणिक अगड़म -बगड़म कह जाते हैं। सारे शब्द चुक गए हैं इसलिए समीर मजबूरी में हास्य व्यंग्य को हास्य व्यंग्य ही कहते हैं। हिन्दी चिट्ठाकारी में जो परंपरा दो महीने टिक जाए वो सुदीर्घ पद को प्राप्त होती है इस लिहाज से यहॉं व्यंग्य लेखन की परंपरा को तो सुदीर्घतम माना जा सकता है। आलोक पुराणिक (आलोकपुराणिक डॉट कॉम), समीरलाल (उडनतश्तरी डॉट ब्लॉगस्पॉट कॉम) शिवकुमार (शिव-ज्ञान डॉट ब्लॉगस्पॉट कॉम), अशोक चक्रधर, जैसे प्रतिबद्ध व्यंग्य चिट्ठाकारों के आने से पहले भी अनूप शुक्ला, जितेंद्र चौधरी, देबाशीष आदि एक दूसरे से जिस तरह मौज लेते थे उसे व्यंग्य चिट्ठाकारी की आदि पोस्टें कहा जा सकता है।
इन व्यंग्य पोस्टों को नजदीक से देखने वाले जानते हैं कि इन पोस्टों में कानपुर के ठग्गू के लड्डुओं की करामात है ! यानि ऐसा कोई सगा नहीं जिसे हमने ठगा नहीं। धॉंसू च फॉंसू , झाड़े रहो कलट्टरगंज, टंकी आरोहण , मौज लेना जैसी अनेकानेक प्रयुक्तियॉं हिन्दी चिट्ठाकारी के मौलिक मुहावरे हैं। हिन्दी के व्यंग्य चिट्ठाकारों का एक और मौलिक शिष्टाचार है कि वे जिस भी घर में जाते हैं चाहे वह अध्यापक का हो या नेता का, उसके घर से डायरी के पेज जरूर चुरा कर लाते हैं। मसलन आलोक पुराणिक छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं से निबन्ध चुरा कर लाते हैं जिनके ज़रिए छात्र शिक्षकों के ज्ञान- चक्षु खोलते हैं-
"जी बिलकुल सही कह रहे हैं। हलवाईगिरी को आतंकवाद के खिलाफ मुकाबले के लेवल पर नहीं उतारा जा सकता। दहीबड़े कड़े हों या मुलायम, उन्हे बनाना मुश्किल काम है। दाल भिगोनी पड़ती है, मिक्सी में पीसनी पड़ती है। फिर तलने पड़ते हैं। फिर दही जमाना पड़ता है, फिर………………। आतंकवाद के मुकाबले के लिए तो सिर्फ बयान देना पड़ता है कि हम कड़ाई से मुकाबला करेंगे, दैट्स आल। टेक हलवाईगिरी सीरियसली-एक बच्चा एक दम तार्किक टाइप बात कह रहा है।"
इसी किस्म की खुराफात अरुण अरोरा अपने ब्लॉग पंगेबाज में करते हैं ! वे अपने चिट्ठे में उन काल्पनिक प्रेमपत्रों को उजागर करते हैं जिन्हें उन्होंने इस या उस कबाड़ी के यहॉं से जुगाडा है ! बिला शक जो डायरी इस समय हिन्दी चिट्ठाकरी में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है वह किसी पेशेवर व्यंग्यकार की नहीं वरन एक वित्त सलाहकार शिवकुमार मिश्र द्वारा प्रस्तुत दुर्योधन की डायरी है। इस डायरी पर आजकल हस्तिनापुर में गांधार चैरिएट्स का रथ कारखाना लगाने के लिए किसानों की जमीन लिए जाने संबंधी बखेड़ा दुर्योधन के मन को मथ रहा है! व्यंग्य चिट्ठाकारी के लिहाज से राजकिशोर, अनूप शुक्ला व समीर लाल के ब्लॉग भी महत्वपूर्ण ब्लॉग हैं। अनीता कुमार, बालकिशन आदि पार्टटाईम व्यंग्यकार हैं।
किंतु यह न समझें कि इन चंद चिट्ठाकारों की पोस्टों के आधार पर व्यंग्य को हिन्दी चिट्ठाकारी का अंगी रस घोषित किया जा रहा है, साफ कर दें कि इस मान्यता का आधार पोस्टों से अधिक टिप्पणियॉं हैं। अपरिचित पाठकों को बताया जाए कि ब्लॉग यानि बेवलॉग इंटरनेट पर दर्ज ब्यौरे हैं जिन्हें पोस्ट कहा जाता है ये तिथिक्रम में लगे होते हैं। अहम बात यह है कि इन पोस्टों पर पाठक द्वारा टिप्पणियॉं देने की सुविधा होती है। इससे ही ब्लॉगिंग का विशिष्ट चरित्र उभरता है। अगर हिन्दी के टिप्पणीकारों के तेवर पर विचार करें तो पाते हैं कि यह तेवर मूलत: व्यंग्य का ही है। ऐसी टिप्पणियों की संख्या बहुतायत में है जो स्माइली पर समाप्त होती हैं।
हिन्दी के तकनीकी जुगाड़ों के लिए अगर किसी एक ही ठीए का पता चाहिए हो तो वह है मस्टडाउनलोड का हिन्दी संस्करण (एचआई डॉट मस्टडाउनलोड्स डॉट कॉम)। इस हिन्दी बेवसाइट पर रोजमर्रा के काम के नवीन साफ्टवेयरों को मुफ्त डाउनलोड करने की सुविधा उपलब्ध है। कुल जमा 181 ऐसे अलग- अलग साफ्टवेयर यहॉं डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं। इनमें ब्राउजर, आडियो, वीडियो, फायरवाल, एंटीवायरस, गेम्स, फाइल शेयरिंग, बैकअप आदि के भॉंति भॉंति के औजार शामिल हैं। उदाहरण के लिए यदि आप अपने कंप्यूटर पर हिन्दी न दिखने या न लिख पाने की परेशानी से गुजर रहे हैं तो हिन्दी मस्टडाउनलोड की हिन्दीहेल्प आपकी परेशानी को दूर कर सकती है। उल्लेखनीय है कि अंगेजी में ऐसी दर्जनों डाउनलोड साईट हैं किंतु हिन्दी में भी इस साईट के आ जाने से अब हिन्दी प्रयोक्ताओं के लिए भी सुविधा हो गई है।
5 comments:
पढ कर अच्छा लगा . प्रस्तुति का धन्यवाद !
बहुत मस्त आलेख है. अपना जिक्र देख कर और अच्छा लगा. :) यह वाली स्माईली खुशी जाहिर करने के लिए है.
अरे! मेरा नाम अखबार में छप गया. रुकिए, अभी सबको बता कर आता हूँ फिर टिप्पणी पूरी करूंगा.
ये प्रस्तुति अच्छी रही... नियमित हो तो और अच्छा रहे !
लगता है व्यंग्य लिखना पढ़ेगा :)
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