विस्तृत विश्लेषण पहले ही किया जा चुका है किंतु अंतर्जाल पर हालात इतनी तेजी से बदलते हैं कि क्या कहें। 29 जुलाई को टैक्नोराटी पर चिट्ठाजगत 46000 के लगभग था और नारद 33662 पर। आज देखा तो एक चमत्कारिक नजारा दिखा आप देखें-
जी दोनों ठीक एक ही पायदान पर मिल रहे हैं। जब तक आप देखें हो सकता है कि स्थिति फिर बदल गई हो पर फिलहाल की स्थिति सामने रख दी है। हमने पछाड़ा शब्द इस्तेमाल किया मानो कोई रेस हो रही हो- जबकि कहा जा सकता है कि भई ऐसा कुछ नहीं है पर फिर भी एक प्रतियोगिता तो है और होनी चाहिए- वैसे रैंक बराबर हैं सिर्फ इसलिए कि टैक्नोराटी के गणितीय समीकरण जो रैंक आंकते हैं वे इतिहास, ऐतिहासिक महत्व जैसे गैर गणितीय घटकों के लिए कोई मूल्य नहीं रखते। खैर हमने तो वास्तविक स्थिति आपके सामने रखी, बाकी आप विचारें।
11 comments:
Change is also vry important...
Thnx
वाह नीलिमा जी,
बहुत खुशी हो रही होगी, वैसे भी आंकड़ो के खेल मे आप माहिर है, लेकिन शायद तकनीक मे फेल है। तभी आपको टैक्नोराती पर नारद का एक लिंक तो दिखा, लेकिन दूसरे को आप इग्नोर कर गयी। ये रहे दोनो लिंक, दोनो को जोड़ लीजिएगा, आपका आंकड़ा पूरा हो जाएगा, और हाँ शायद पोस्ट भी दोबारा लिखनी पड़े, है ना?
पहला : http://www.technorati.com/blogs/akshargram.com/narad?reactions
दूसरा : http://www.technorati.com/blogs/narad.akshargram.com?reactions
चिट्ठाजगत, ब्लॉगवाणी और नारद तीनों में स्पर्धा हो तो बहुत अच्छी बात है. तुलनात्मक अध्ययन करते हुए हमें सभी तथ्यों और आंकड़ों का पता कर लेना चाहिए.. फिर आगे-पीछे की बात समझ आएगी. ये तो आपने टीवी चैनल टाइप रेटिंग के दावे बता दिए.. +15 +25 Metro TTS वगैरह में हर कोई आगे दिख जाता है. ओवरऑल कहानी कुछ और होती है.
नीरज भाई सही कह रहे है आप मेहनत नही कर रही है, आपकी भाषा बिल्कुल चिट्ठाजगत के एजेन्ट की तरह है। :)
चिट्ठाजगत के एजेन्ट की तरह है?????
http://linkitmann.blogspot.com/2007/08/blog-post.html
इस पोस्ट में ब्लॉगवाणी के एजेन्ट की तरह है।
@ नीरज शुक्रिया, अपडेट के लिए
@ प्रमेद्र- आपको बेनाम मित्र से उत्तर मिल ही गया होगा, शोध के काम में यह तो होता ही है, कभी किसी को बुरा लगता है कभी किसी को। :)
@neeraj दोनो को जोड़ लीजिएगा, आपका आंकड़ा पूरा हो जाएगा,
पहला : http://www.technorati.com/blogs/akshargram.com/narad?reactions
दूसरा : http://www.technorati.com/blogs/narad.akshargram.com?reactions
भाई क्यों जोडें, एक मानो पहला या दूसरा
टेक्नोरती अथौरिटी का मतलब है, कितने भक्त, यह तो नारद भी मुख्य पृष्ट पर कहता है (दूसरे स्थंभ में आखरी बकसा)
पहला और दूसरा अलग-अलग भक्त गिन रहा है या एक जैसे, कौन बताएगा।
अपना नाम नहीं दे रहा, जानकर
चिट्ठाजगत निसंदेह एक अच्छा एग्रीगेटर है, जिसमे काफी अच्छे फीचर्स है। इसको ब्लॉगजगत मे अपना मुकाम बनाने मे थोड़ा वक्त जरुर लगेगा, हमारी शुभकामनाएं उनके साथ है।
रही बात इस तरह के विश्लेषण की, तो भैया आंकड़े है, कैसे भी तोड़ मरोड़ कर पेश कर लो, ये खेल टीवी वाले कर ही रहे है, यहाँ भी शुरु कर लो। लेकिन एक बात जरुर कहना चाहूंगा, हर गलत विश्लेषण से, विश्लेषणकर्ता पर लोगो का विश्वास कम होता जाता है। नीलिमा जी, एक समझदार विश्लेषणकर्ता है, आशा है वे आगे ध्यान रखेंगी।
@
भाई क्यों जोडें, एक मानो पहला या दूसरा
भाई पहला भी क्यों मानते हो? मत मानो। मगर आंकड़े है, देखो तो पूरा देखा, आधा सच, झूठ से भी खतरनाक होता है।
मगर आंकड़े है, देखो तो पूरा देखा, आधा सच, झूठ से भी खतरनाक होता है।
विस्तार से समझा देते तो अच्छा होता, पूरा क्या है
दोने को जोड़े, भाग करें, गुना करें, या कोई और formula है।
यह आंकडे हमारी तो समझ के बाहर हैं,
Anonymous जी,
पोस्ट नीलिमा जी की थी। विश्लेषण उनका था। त्रुटि उन्हें बताई गई। बेनामी कमेंट करना और मामले को उलझाकर विवाद खड़ा करना आसान है। आपको जवाब देना मेरा उत्तरदायित्व नहीं है। आप अपना नाम बताएं तो सार्थकता होगी।
यह चूंकि शोध ब्लॉग है अत: इसपर बेनामी होने की शायद कोई उपयोगिता नहीं इसलिए इस चिट्ठे से बेनामी टिप्पणियों की सुविधा हटाई जा रही है। हालांकि इससे बेनाम टिप्पणियों पर रोक नही लगती न ही हम सिद्धांतत: बेनाम होने के विरुद्ध हैं पर इस तरह के शोधों में उससे कोई सहायता नहीं मिलती है।
your analysis is very good.i had never seen such kind of analysis before.but be a bit more careful while approaching a conclusion NishikantWorld
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